गुरुवार, 30 अगस्त 2018

अमीर लोगों में छुपा हुआ कुपोषण

जब भी कुपोषण की बात चलती है तो हमारा ध्यान छोटे बच्चों और किशोरों की तरफ ही जाता है या फिर गरीबों की ओर। दोस्तों आज हम एक ऐसी समस्या पर बात करेंगे जिस पर ना तो सरकारों का ध्यान जा रहा है और ना ही आम लोगों का।
हम लोग छोटे बच्चों को देखकर व उनका वजन नाप कर कुपोषण का पता आसानी से लगा लेते हैं। अति गरीब लोगों के भी अस्थि पंजर शरीर को देख कर भी हम समझ जाते हैं की यह व्यक्ति कुपोषण का शिकार है। लेकिन आज कल लोगों में एक ऐसा कुपोषण फैल रहा है, जिसे देख कर पता लगा पाना असंभव है, क्योकि व्यक्ति देखने में हृष्ट पुष्ट दिख रहा होता है उसका वजन सामान्य भी हो सकता है और आवश्कता से अधिक भी हो सकता है। चूंकि देखने में हृष्ट पुष्ट होने के कारण उस व्यक्ति का व डॉक्टर का भी ध्यान उसके कुपोषण के प्रति नही जा रहा होता है इसलिए इसे छुपा हुआ कुपोषण ही कहेंगें। अंग्रेजी में इसे हिडन हंगर कहते हैं। इसमें हमारा पेट तो भर रहा होता है  लेकिन हम फिर भी कुपोषित होते हैं ।इस कुपोषण के कारण व्यक्ति दिन प्रति दिन गम्भीर बीमारियों को ओर अग्रसर हो रहा होता है। इन बीमारियों को हम अनेक नाम दे सकते हैं इनके अलग अलग लक्षण हो सकते हैं पर अधिकांश के मूल में यह छुपा हुआ कुपोषण ही होता है। समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब चिकित्सक लक्षणों को देख कर उन्हें दवाने के लिए एलोपैथिक ड्रग्स देने लगते हैं। मैं यहाँ एलोपैथिक ड्रग का विरोध नही कर रहा हूँ लेकिन चिकित्सकों के पास विकल्प भी सीमित हैं यह जानने के की समस्या आखिर हो क्यों रही है। दूसरा चिकित्सक पर तुरन्त परिणाम देने का दवाव भी होता है। मैं यहाँ एक उदाहरण दूँगा मेरी एक परिचित अमीर परिवार की महिला को बुखार आ गया डेढ़ दो महीने तक शहर के कई नामी गिरामी डॉक्टरों को दिखा लिया गया। सभी तरह के एंटीबायोटिक भी खिला दिए गए लेकिन बुखार वहीं का वहीं। आखिर में एक डॉक्टर ने उनका विटामिन D का चेकअप करवाया उसमें उनका विटामिन D का स्तर समान्य से काफी कम निकला। यही उनके बुख़ार न जाने का कारण था। जो उनका लाइफ स्टाइल था उसमें विटामिन D कम होनी ही थी क्योंकि धूप में तो गरीब निकलते हैं अमीर भला क्यों निकलने लगे धूप में। मैंने तो सिर्फ एक उदाहरण दिया है ऐसे अनेकों कारण हमारी समस्याओं के हो सकते हैं जो अभी तक शायद चिकित्सा शास्त्र में भी ज्ञात ना हो।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान दिन प्रतिदिन नए नए पोषक तत्वों की खोज कर रहा है। सामान्यता इन को 7 श्रेणियों में बांट सकते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, विटामिन मिनरल्स,वसा फाइबर और पानी। इन 7 श्रेणियों को माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और मैक्रो न्यूट्रिएंट्स के अंतर्गत रखा गया है मैक्रो न्यूट्रिएंट्स के अंतर्गत कार्बोहाइड्रेट बसा प्रोटीन फाइबर और पानी आते हैं। माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के अंतर्गत मिनरल्स अर्थात खनिज तत्व विटामिंस आते हैं।
मिनरल्स अर्थात खनिज तत्व ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे शरीर में नहीं बनते जो धरती में होते हैं और धरती से ही हमारे शरीर में हमारे भोजन के माध्यम से पहुंचते हैं वैज्ञानिकों ने अब तक 29 प्रकार के तत्वों का पता लगाया है जो हमारे शरीर की प्रक्रिया चलाने के लिए आवश्यक होते हैं। विटामिंस ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल्स होते हैं जो हमारे शरीर की क्रिया प्रणाली को सुचारु रुप से चलाने के लिए आवश्यक होते हैं अभी तक वैज्ञानिकों ने 13 प्रकार के विटामिंस का पता लगाया है। यहां मैं इन सब के विस्तार में नहीं जाऊंगा अन्यथा यह पोस्ट बहुत लंबी हो जाएगी। यहां पर मैं यह बताना चाहूंगा की इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी ही हमारे छुपे हुए कुपोषण का कारण है। आज हम लोगों के भोजन में इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी खतरनाक स्तर तक कम हो गई है।
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि आखिर इसका समाधान कैसे किया जाए दोस्तों उसके दो ही समाधान है या तो ऑर्गेनिक विधि से उपजाए गये अनाजों फलों सब्जियों का सेवन किया जाए या फिर इन पोषक तत्वों का अलग से सेवन किया जाए। दोस्तों ऑर्गेनिक विधि वह विधि होती है जिसमें खेत में किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरक व कीटनाशकों व हार्मोन्स का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमें प्राकृतिक खादो जैसे गोबर की खाद फसल सड़ी गली पत्तियों की खाद इत्यादि का ही प्रयोग किया जाता है। इस विधि से उपजाए गए अनाजों व सब्जियों की लागत बहुत अधिक होती है जो एक आम भारतीय वहन नहीं कर सकता जो लोग इसे वहन कर सकते हैं उनके लिए भी यह उत्पाद आसानी से हर जगह उपलब्ध नहीं है। दोस्तों यह पोषक तत्व अलग से बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं न्यूट्री वर्ल्ड इन्हें माइक्रोडाइट, आयरन फॉलिक प्लस,कैल्शियम प्लस, गेट थे ग्लो इत्यादि के नाम से उपलब्ध करा रहा है माइक्रोडाइट में ही 20 से भी अधिक सूक्ष्म पोषक तत्व हैं और इनकी कीमत प्रतिदिन एक सिगरेट की कीमत से भी कम है। अब फैसला आपके हाथ है किसका चयन करना है।

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