रविवार, 21 अक्तूबर 2018

कृषि भूमि में कार्बन की कमीं


पिछले दिनों जब मैं अपने एक कृषि वैज्ञानिक मित्र से जब चर्चा कर रहा था। यह मित्र एक कृषि के केंद्रीय संस्थान से जुड़े हुए हैं। यह मृदा परीक्षण से भी जुड़े रहे हैं। मैं उनसे यह जानना चाह रहा था कि अपने देश में खास कर बरेली के आस पास के क्षेत्र की मिट्टी में किस तत्व की कमी सबसे ज्यादा है। यहाँ मैं पहले आपको बता दूँ कि न्यूट्रिवर्ल्ड की कृषि के लिए उत्पाद की स्रंखला साडावीर का जब भी कोई उत्पाद विकसित किया जाता है तब किसानों और वैज्ञानिकों दोनों की राय ली जाती है। अब मुद्दे पर आते हैं, मेरे मित्र ने जो जबाब दिया वो आश्चर्य में डालने वाला था। मैं सोच रहा था की जबाब, पोटास, जिंक, फेरस, मैग्नीशियम, कॉपर, बोरोन, सल्फर में से कोई होगा। लेकिन मैं गलत था जबाब था कार्बन जी हाँ वही कार्बन जो इस धरती पर जीवन का आधार है।  हमारा भोजन जिसमें की कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन होते हैं। कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन के अणुओं का आधार कार्बन ही होता है। हम लोग एमिनो एसिड से बने हैं जो कि कार्बन और नाइट्रोजन अणुओं के सैंयोजन से ही बनते हैं। अतः पृथ्वी पर जो भी जीवन है उसमें कार्बन तत्व कि ही भूमिका है। खेती की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा 4 प्रतिशत से 12% के बीच होनी चाहिए।
लेकिन हमारे यहाँ के खेतों की मिट्टी में कहीं कहीं तो इसकी मात्रा 0.2% ही पाई गई है, जो रेगिस्तानी इलाकों की भी मिट्टी से गई गुजरी है। कार्बन की उपस्थित खेतों के लिए लाभदायक सूक्ष्म जीवों व जीवाणुओं के पनपने के लिए अति आवश्यक है। पृथ्वी के वायुमण्डल में पाई जाने वाली कार्बन की मात्रा से लगभग 3 गुना कार्बन धरती में आर्गेनिक कार्बन के रूप में स्टोर है। पृथ्वी पर जीवन के लिए भी यह आवश्यक है की यह वातावरण से ज्यादा धरती पर आर्गेनिक कार्बन के रूप में बनी रहे। लेकिन हम अपने क्रिया कलापों से यह संतुलन बिगाड़ने पर लगे हुए हैं। जब हम फसलों के अवशेषों (पराली) को जलाते हैं तब यह ऑर्गेनिक कार्बन धरती से निकल कर कॉर्बन डाइऑक्साइड गैस के रूप में मिल जाती है। आप सब जानते ही हैं की कॉर्बन डाइऑक्साइड गैस ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती है। पराली जलाने का दूसरा नुकसान यह होता है की हमारे खेत आर्गेनिक कार्बन जो की ह्यूमस के रूप में खेतों को मिलती है उससे वंचित हो जाते हैं। यह ह्यूमस खेतों के लिए अमृत की तरह है। यह भूमि में जल संचयन को बढ़ाती है और फसलों के लिये जरूरी सूक्ष्म जीवों को भी पनपने का आधार उपलब्ध कराती है। यह भूमि में पौधे के लिये आवश्यक पोषक तत्वों को भी अपने में बांध कर रखती है। सारांश यह है कि यह कार्बन मिट्टी की सेहत के लिए जरूरी है और यह मिट्टी में कम होती जा रही है।
अगर आपको खेतों की सेहत सही रखनी है तो उसके लिए खेतों में आर्गेनिक कार्बन बढ़ाएं। इसके लिए खेतों में फसलों के अवशेषों को जलाएं नहीं वल्कि उसको खेत में गला दें। दूसरा उपाय रासायनिक खादों के स्थान पर आर्गेनिक खाद साडावीर को अपनाएं। यह आर्गेनिक अम्लों से बना है जो कि कार्बन के परमाणुओं से ही बनते हैं। साडावीर फसलों को अन्य लाभ तो पहुंचता ही है वल्कि धरती में कार्बन की मात्रा भी बढ़ाता है जिससे भूमि की सेहत भी सुधरती है।

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