गुरुवार, 26 मई 2022

पंचगव्य यानी कि हमारे पूर्वजों का प्रोबियोटिक सप्लीमेंट


#पंचगव्य यानी कि हमारे पूर्वजों का प्रोबियोटिक सप्लीमेंट
इस पोस्ट को पढ़ने से पहले पहले की तीन पोस्ट जरूर पढ़ लें तब यह ज्यादा समझ में आएगा।
एलेना कोलन की जिस किताब का जिक्र किया है, उसको पढ़ने से पहले मैं कभी भी गोमूत्र और गोबर के प्रयोग के समर्थन में नहीं था। और आंतरिक प्रयोग या खाने पीने की बात करने वालों को तो मानसिक रोगी मानता था।
जो इस पोस्ट में वो लिखूंगा वह सीधे सीधे एलिना कोलन ने नहीं लिखा है क्योंकि उन्हें भारत की परंपराओं के बारे में शायद पता नही होगा अगर उन्हें यह बात पता होती तो शायद वह भी किताब में भी इसका जिक्र करती। लेकिन किताब को पढ़ने के बाद जो मेरे अंदर अंतर्दृष्टि उत्पन्न हुई उसके आधार पर मैं आपको पंचगव्य का विज्ञान समझाने जा रहा हूं।
जो लोग फ़ूड और न्यूट्रिशंस के बारे में जागरूक रहते हैं वह लोग जानते ही होंगे कि प्रोबायोटिक उत्पाद काफी चलन में है। जो लोग प्रोबायोटिक्स के बारे में नहीं जानते उन्हें बता दें कि प्रोबियोटिक ऐसे उत्पाद होते हैं जिनमें मनुष्य के लिए लाभदायक बैक्टीरिया पाए जाते हैं जैसे कि दही, श्रीखण्ड, सिरका,योगर्ट इत्यदि भी प्रोबियोटिक फ़ूड ही है। क्योंकि इनके उत्पादन में बैक्टीरिया का हाथ है। हम सब जानते हैं की दही में लैक्टोबेसिलस नामक जीवाणु होते हैं। पेट में लेक्टो एसिड बेसिलस के अतिरिक्त भी अनेकों फायदेमंद जीवाणु होते हैं आजकल इन सभी जीवाणुओं को दही में मिलाकर जो उत्पाद तैयार किया जाता है उसको प्रोबायोटिक योगर्ट नाम दिया गया है। 
प्रोबायोटिक उत्पादों का सेवन की सलाह पेट से जुड़ी तमाम बीमारियों में तो दी ही जाती है इसके अतिरिक्त भी कैंसर जैसी अनेकों असाध्य बीमारियों में भी इसके प्रयोग के लिए कहा जा रहा है।
कल दिल्ली के माल में कुछ प्रोडक्ट देख रहा था तो वहां पर स्किन योगर्ट भी रखा हुआ था यानी की त्वचा पर लगाने वाली क्रीम में योगर्ट। अब बाजार इस जानकारी का पूरा फायदा उठाने में लगा हुआ है। बाजार को फायदा उठाना ही चाहिए और मैं भी उठाऊंगा☺️☺️☺️. 
अब आप सोच रहे होंगे कि पंचगव्य प्रोबियोटिक सप्लीमेंट कैसे हो गया। पंचगव्य में गाय से जुड़ी पाँच चीज़े पढ़ती हैं। 1. गाय का दूध 2. गाय का दही 3. गाय का घी 4. गोमूत्र व 5. गाय के गोबर का अर्क। जीवाणुओं की वृद्धि के लिए एक माध्यम चाहिए होता है तो दूध एक सबसे अच्छा माध्यम है. दही में जीवाणु होते ही हैं और उसमें जब गौमूत्र व गोवर का अर्क मिलाते हैं तो गोबर के माध्यम से गाय आंतों में पाए जाने वाले जीवाणु व गौ मूत्र के मिनरल्स भी उसमें मिल जाते हैं। दूध जैसा माध्यम मिल जाने से यह अच्छी तरह विकसित हो जाते हैं। यह जीवाणु व दूध घी मिलकर पंचगव्य को एक बहुत ही अच्छा प्रोबायोटिक सप्लीमेंट बना देते हैं।
आज कल के माहौल में मैं पंचगव्य की सलाह नही दूँगा क्योंकि आज गायों का चारा प्राकृतिक नही रह गया है।
प्रोबायोटिक कैप्सूल्स व गोलियां भी आती हैं। जिसमें सभी लाभकारी बैक्टीरिया होते हैं। उनका सेवन कर भी आप प्रोबियोटिक का लाभ ले सकते हैं। न्यूट्रिवर्ल्ड के सभी साथियों को बताना चाहता हूं कि अपनी कंपनी में भी शीघ्र ही प्रोबियोटिक सप्लीमेंट भी उपलब्ध कराये जाएंगे।
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