गुरुवार, 26 मई 2022

गट माइक्रो बायोम

पोस्ट - 1 सूक्ष्म जीवों का रहष्य
हिंदी में ज्ञान-विज्ञान पर लिखी हुई अच्छी पुस्तकों का अभाव है। हिंदी में इंटरनेट पर भी अच्छे ज्ञान का अभाव है। मुझे इसके दो कारण लगते हैं पहला यह कि हिंदी में कोई भी मौलिक शोध नही हो रहा है, और दूसरा यह कि मेरे जैसे लोग अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाएं जानते हैं औऱ अंग्रेजी में नया ज्ञान विज्ञान पढ़ते भी हैं। वे अपने आलस के कारण अंग्रेजी से लिया ज्ञान हिंदी के पाठकों तक नहीं पहुंचा रहे हैं। पिछले लॉकडाउन में मैंने कई अच्छी पुस्तकें स्वास्थ्य विज्ञान पर पढ़ी हैं। मुझे लगता है कि उनसे जो कुछ भी मैंने जाना है वह आप तक पहुंच जाए तो मेरा पढ़ना सार्थक हो जाएगा।
ऐसी ही एक किताब प्रसिद्ध माइक्रो बायोलॉजिस्ट एलेना कोलन की "10% ह्यूमन" पढ़ी थी उसको पढ़ कर मेरे दिमाग के सोचने का तरीका ही बदल गया। काफी दिनों से सोच रहा था कि आपको इस ज्ञान के बारे में बताया जाए। एक पोस्ट में नही आएगा ऐसे ही एक एक टॉपिक पर मूड बनता रहा तो लिखता रहूंगा।
इस किताब में एलेना कोलन ने बताया है कि हम सिर्फ 10% ही इंसान हैं बाकी 90% बैक्टीरिया वायरस फंगस आदि सूक्ष्मजीव से बने हैं। आप सब ने नब्बे के दशक में जब ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट शुरू हुआ था उसके बारे में मीडिया में काफी पढ़ा होगा कि किस तरह उस समय दावे किए जा रहे थे कि हम अब डिजाइनर बेबी बना सकेंगे और इंसानों से जुड़े तमाम तरह के रहस्य खुल जाएंगे। इस प्रोजेक्ट में जब जींस के बारे में पता लगाया जा रहा था तो वैज्ञानिकों को आश्चर्य हुआ की हम इंसानों में 22,000 के आस-पास ही जींस हैं। जबकि एक फल की मक्खी में 25000 और एक धान के पौधे में 42000 के आसपास जींस होते हैं। जब यह पता चला तो हम इंसानो के अहंकार को बहुत ठेस पहुंची कि हम इंसान हमारे अंदर की क्रिया प्रणाली इतनी कांप्लेक्स है फिर भी हमारा काम इतने कम जींस से कैसे चल रहा है। तो आगे रिसर्च की गई तो पता चला कि हमारे शरीर में दो लाख के आसपास जींस काम करते हैं। जो लोग जीन्स को नही समझते हैं उन्हें बता दूं की जींस एक तरह के ब्लूप्रिंट होते हैं और हमारे शरीर की कोशिकाओं में होते हैं यही कोशिकाओं को बताते हैं कि किस चीज़ का शरीर मे निर्माण करना है। हमारा गोरा काला, लंबा नाटा, मोटा पतला, बुद्धिमान, मूर्ख काफी हद तक जींस पर ही निर्भर करता है।
हमारे शरीर मे 2 लाख जींस काम कर रहे हैं क्योंकि इंसान जैसी कॉम्प्लेक्स संरचना का इससे कम में काम भी नही चलेगा। पर इन 2 लाख में से 10% ही हमारे हैं बाकी 90% जींस उन सूक्ष्मजीवों के हैं जो हमारे शरीर में आश्रय लिए हुए हैं। ह्यूमन जीनोम की गुत्थी जितनी सुलझनी थी उससे ज्यादा उलझ रही थी। फिर वैज्ञानिकों को लगा कि इस पर और रिसर्च की जरूरत है। अमेरिकी सरकार ने ह्यूमन जीनोम के बाद ह्यूमन बायोम प्रोजेक्ट की शुरुआत की। आज जो नई जानकारी ह्यूमन बायोम के बारे में सामने आ रही है वह सब इस प्रोजेक्ट का ही परिणाम है।
तो बात हो रही थी हमारे शरीर मे रहने वाले सूक्ष्म जीवों की। इसमें हम दोनों का स्वार्थ छिपा है हम उन्हें संरक्षण और भोजन देते हैं बदले में हमारे लिए काम करते हैं। और ऐसा भी नहीं है कि वह हमारे लिए कोई कम महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं वह हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य कर रहे होते हैं जैसे विभिन्न हारमोंस का बनाना विभिन्न विटामिनों व प्रोटीन का संश्लेषण करना, भोजन का पाचन करना इत्यादि, यहां तक कि जो हमारे दिमाग के लिए सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन सेरेटोनिन है वह भी हमारी आंतों में स्थित जीवाणु ही बनाते हैं।
हम लोग सूक्ष्म जीवों को दुश्मन ही ज्यादा समझते आये हैं क्योंकि जब भी कोई नई बीमारी आती है तो उसके पीछे इन्हीं में से किसी का नाम लिया जाता है। पर दुश्मन माइक्रोब यानी कि सूक्ष्म जीवों की संख्या बहुत ही कम है, दोस्त ज्यादा है पर चंद बुरे सूक्ष्म जीवों के चक्कर मे पूरी कौम को ही अपना दुश्मन मान बैठे हैं। तभी तो हम एंटीबायोटिक, साबुन, फिनाइल, सेनेटाइजर और पता नही कौन कौन से क्लीनर इस्तेमाल कर इन्हें मारने पर तुले रहते हैं। इस पुस्तक में सूक्ष्म जीवों से जुड़े अनेको ऐसे रहस्य हैं जो प्रचलित मान्यता के अनुकूल नही हैं। पर यह बातें विज्ञान की खोजो के बाद ही पता चलीं है इसलिए मानना तो पड़ेगा ही।
अगर आप सबका प्रोत्साहन मिलेगा तो मैं अपनी पोस्ट की इस सीरीज में आपको इन सूक्ष्मजीवों से जुड़े हुए रहस्य के बारे में बताता रहूंगा जो कि मैंने इन पुस्तकों में पढ़े हैं।
#पंकजगंगवार 
#न्यूट्रिवर्ल्ड

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